Saturday 27 July 2013

लाल की धड़कन


बोलक  : आपने जन्माष्टमी पर  कई  नाटक देखे होंगे पर वह  वही पुराणी कृष्ण जी की  रास  लीलाओ के ही होंगे | हमारे नाटक की कहानी कुछ अलग और हटके है | कहानी कुछ ऐसे शुरू होती की एक लड़की है जो कभी भी वृन्दावन जाना नहीं  छोड़ती है | जब वह बड़ी हो गई और  उसकी शादी भी हो गई  तब भी उसने वृंदावन धाम जाना नहीं छोड़आ लकिन कहते हैं की बुढ़ापा एक ऐसी बीमारी है की जिसमे आदमी नहीं टाल नहीं सकता है और ऐसा ही उस औरत के साथ हुआ | जब वह वहाँ आखरी बार गई तब वह वहां से एक क्रष्ण जी की मूर्ति ले आई |



पहला दृश्य

( जन्माष्टमी का दिन औरत  और उसकी बहु  एक